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Siddhartha – Ek Tyag Gatha

249.00

Language:- Hindi

Author:- Manu Saunkhala

Pages:- 171

Publication:- Rajmangal Publishing

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Description

पृथयानी राज्य उत्तर में हिमालय और अन्य दिशाओं में सागर से घिरा हुआ भूखंड है। राज्य की राजधानी का नाम कर्मावती है। पृथयानी राज्य काकरण राज्य के अधीन है और पृथयानी राजन अपने राज लोभ के कारण अधीनता को चुनौती नहीं देते हैं। पृथयानी राज्य रूपवान युवतियाँ, स्वर्ण, अनाज हर वर्ष काकरणों को समर्पित करते हैं ताकि काकरण उन पर कभी भी आक्रमण न करें और उनके राजसुखों में ग्रहण न लगे। इस प्रथा को बलिदानम को नाम दिया गया है और कहानी के पहले भाग ‘बलिदानम एक राजगाथा’ में इस स्थिति के बारे में बताया गया है। त्रिशला कबीले की प्रमुख मैत्रयी इस प्रथा के विरुद्ध चुनौती देती है और पृथयानी राज्य के विरुद्ध विद्रोह कर देती है। युवराज रुद्रा पृथयानी के कर्त्तव्य पारायण युवराज हैं जो प्रजा को उनके मौलिक अधिकार देने के पक्षधर हैं। जो कोई व्यक्ति इस धरा पर और आकाश तले रहता है, जो वायु और जल का सेवन करता है, उनके अधिकार बराबर होंगे – रुद्रा इस बात को क्रियान्वित करना चाहता है। युवराज रुद्रा त्रिशला कबीले से शांति वार्ता के लिए जाते हैं। युवराज रुद्रा को बलिदानम कुप्रथा के बारे में ज्ञात होता है जिसे सुनकर वो व्यथित हो जाते हैं। वो प्रजा को इस प्रथा को समाप्त करने का वचन देते हैं और पृथयानी राजभवन में काकरणों से युद्ध का प्रस्ताव रखते हैं जिसे राजन अश्रवण अस्वीकार कर देते हैं। पृथयानी राजदरवारियों को अपने राजसुख छीनने का भय महसूस होता है जिस कारण वो गहरा षड्यंत्र करते हैं और रुद्रा को पृथयानी राज्य से निष्काषित कर दिया जाता है। मैत्रयी भी इस युद्ध में पराजित होकर काकरणों की दासी बन जाती है। सिद्धार्थ एक त्याग गाथा – यह उपन्यास इसी कहानी को आगे बढ़ाता है।

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